नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन, करना होता है अपना पिंडदान

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महाशिवरात्रि यानी 11 मार्च, 2021 को हरिद्वार महाकुंभ का पहला शाही स्नान है। इसमें नागा साधु (Naga sadhu) पूरे श्रृंगार के साथ शामिल होते हैं।

क्या आप जानते हैं कि नागा साधु होना कितने तप का कार्य है? आज हम आपको उन्हीं के रहस्यों के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।

सबसे पहली बात-नागा साधु (Naga sadhu) बनना आसान नहीं। यह एक कठिन प्रक्रिया होती है। नागा साधु बनने से पहले व्यक्ति को खुद का पिंडदान करना पड़ता है।

सभी अखाड़ों में नए नागा साधु को दीक्षा देने नियम अलग-अलग होते हैं। लेकिन, कुछ ऐसे नियम भी हैं जिनका पालन सभी अखाड़ों में किया जाता है।

साधु बनाने से पहले अखाड़े वाले संबंधित व्यक्ति के बारे सारी जानकारी अपने स्तर पर जुटाते हैं। मसलन उस व्यक्ति का घर परिवार कैसा है।

यदि अखाड़े के साधुओं को लगता है कि व्यक्ति साधु बनने के योग्य है, तभी उसे अखाड़े में प्रवेश की इजाजत मिलती है।

आपको बता दें कि अखाड़े में प्रवेश करने के बाद उस व्यक्ति के ब्रह्मचर्य की परीक्षा होती है। इस परीक्षा में काफी समय लगता है।

इस परीक्षा में सफल होने के बाद उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। ये पांच गुरु पंच देव या पंच परमेश्वर के नाम से जाने जाते हैं।

Naga sadhu हरिद्वार महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र हैं।
Naga sadhu हरिद्वार महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र हैं।

इनमें शिवजी, विष्णुजी, शक्ति, सूर्य और गणेश शामिल हैं। ब्रह्मचारी को महापुरुष की संज्ञा मिल जाती है। व्यक्ति को महापुरुष बाद अवधूत (avdhoot) कहा जाता है। अवधूत के रूप में व्यक्ति खुद का पिंडदान करता है।

इसके बाद व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए नग्न अवस्था में 24 घंटे तक अखाड़े के ध्वज के नीचे खड़ा रहना होता है।

इसके बाद अखाड़े के बड़े नागा साधु नए व्यक्ति को नागा साधु बनाने के लिए उसे विशेष प्रक्रिया से नपुंसक कर देते हैं।

इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति नागा दिगंबर साधु (digambar sadhu) घोषित हो जाता है।नागा साधु बनने के बाद गुरु से मिले गुरुमंत्र का जाप करना होता है।

उसमें आस्था रखनी होती है। नागा साधु को भस्म से श्रृंगार करना पड़ता है। रूद्राक्ष (rudraksh) धारण करना होता है। ये साधु दिन में केवल एक समय भोजन करते हैं।

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एक नागा साधु को सिर्फ सात घरों से भिक्षा मांगने का अधिकार होता है। अगर सात घरों से खाना न मिले तो उस दिन साधु को भूखा रहना पड़ता है।

नागा साधु जमीन पर सोते हैं। ये साधु समाज से अलग रहते हैं। एक बार नागा साधु बनने के बाद उसके पद और अधिकार भी समय-समय पर बढ़ते रहते हैं।

नागा साधु महंत, श्रीमहंत, जमातिया महंत, थानापति महंत, पीर महंत, दिगंबरश्री, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर जैसे पद तक पहुंच सकते हैं।

हरिद्वार महाकुंभ (hardwar mahakumbh) में नागा साधु (Naga sadhu) सभी के आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह करतबों का भी प्रदर्शन करते हैं।

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