Mahashivratri पर जानिए चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की कथा
1 min readआज 1 मार्च, 2022 का दिन है। महाशिवरात्रि (mahashivratri) है। भक्तजनों की शिवालयों में शिवजी को जल चढ़ाने के लिए लाइन लगी है।
आज इस विशेष अवसर पर हम आपको ऋषिकेश के चंद्रेश्वर महादेव मंदिर (chandreshwar mahadev mandir) में ले चलेंगे। आपके साथ मंदिर के अस्तित्व में आने की कथा को साझा करेंगे।
यदि आप कभी ऋषिकेश आए हों तो आप जानते ही होंगे कि यह चंद्रेश्वर महादेव मंदिर मां गंगा के पवित्र तट पर स्थित है।
मान्यता है कि यहां चंद्रमा को श्राप से मुक्ति मिली थी। भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया था।
श्रावण माह सहित शिवरात्रि एवं अन्य दिनों में यहां श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है। विशेषकर स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति विशेष आस्था व्याप्त है।
कथाओं के अनुसार, श्राप से मुक्ति पाने के लिए भटकते हुए चंद्रमा यहां गंगा तट के समीप पहुंचे। इसके पश्चात उन्होंने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी।
कहा जाता है कि करीब 10 हजार वर्ष तक तपस्या करने के बाद भगवान शिव चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न हुए। और उन्हें दर्शन दिए।
इसके बाद भगवान शिव ने चंद्रमा को श्राप मुक्त कर अपने मस्तक पर विराजित कर लिया। कहते हैं कि भगवान शिव के इस मंदिर में शीश नवाने से महादेव भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं।
विशेषकर महाशिवरात्रि (mahashivratri) के लिए यहां स्थित शिवलिंग का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
प्रातः काल चार बजे से ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए मंदिर में भक्तों की लाइन लग जाती है। हर कोई अपनी व अपने परिवार की समृद्धि की कामना भगवान शिव से करता नजर आता है।
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लेकिन इस बार बहुत से लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध की समाप्ति के साथ ही संपूर्ण विश्व में शांति स्थापना की कामना महादेव से की
साथ ही मांगा कि जो भी भारतीय यूक्रेन (Ukraine) में फंसे हैं, वे सकुशल वहां से निकल आएं। उनके कष्टों में बढ़ोत्तरी न हो।
शिवरात्रि के अवसर पर ऋषिकेश के प्रत्येक शिव मंदिर जैसे वीरभद्र महादेव (virbhadra mahadev), सोमेश्वर महादेव (Someshwar mahadev) मंदिर में भीड़ देखने को मिल रही है।