मां पर्णखंडेश्वरी मंदिर : जहां देवी सती ने भगवान शिव को पाने के लिए किया था तप

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बद्रीधाम के रास्ते में मां पार्वती का एक प्राचीन मंदिर पड़ता है। इसका नाम मां पर्णखंडेश्वरी मंदिर (parnkhandeshwari temple) है। आप यहां दर्शन अवश्य करें।

ये मंदिर जोशीमठ (joshimath) नगर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ यात्रा के दौरान जोशीमठ से पहले इस मंदिर में मां के दरबार में शीश नवा सकते हैं ।

बताया जाता है कि देवी सती ने पिता दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। इसके पश्चात आदिशक्ति ने हिमालय और मैना देवी के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था।

कन्या का नाम पार्वती रखा गया था। देवी पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए तप किया। कहा जाता है कि मां पर्णखंडेश्वरी मंदिर (parnkhandeshwari temple) स्थल ही वह स्थान है।

आपको बता दें कि स्कंद पुराण (skand puran) में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस संबंध में एक श्लोक पुराण में उल्लिखित है-

यत्र पूर्वं महादेवी तपः परममास्थिता।

पर्णखण्डाशना भूत्वा बहुवर्षसहस्त्रकम्।।

(स्कंदपुराण, केदारखंड, अध्याय 58, श्लोक 36)

इस श्लोक के अनुसार इसी स्थान पर देवी ने हजारों वर्ष भगवान शिव (lord Shiva) की प्राप्ति के लिए तप किया। उन्हें ही मां पर्णखंडेश्वरी के नाम से जाना जाता है।

तदारभ्य महत्पुण्यं बभूव वरवर्णिनि।

पर्णखण्डाशना देवी जाता दैवतपूजिता।।

(स्कंदपुराण, केदारखंड, अध्याय 58, श्लोक 37)

बताया जाता है कि तपस्या के पहले चरण में मां पार्वती ने पत्ते खाकर तप किया। इसीलिए उनका नाम पर्णखंडेश्वरी पड़ा।

ऐसा कहा जाता है कि तपस्या के अंतिम चरण में देवी पार्वती (Parvati) ने पत्तों को भी आहार के रूप में लेना बंद कर दिया। तब देवी का नाम अपर्णा पड़ा।

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बताया जाता है कि उसी समय से देवी पार्वती (Devi Parvati) की इस स्थान पर पर्णखंडेश्वरी के रूप में पूजा की जाती है।

भगवान बद्रीनाथ (lord badrinath) के मार्ग में होने की वजह से श्रद्धालु (pilgrims) यहां पहुंचते हैं।

मन में अपार श्रद्धा लिए श्रद्धालु यहां अपनी मन्नत पूरी होने की भी कामना करते हैं।

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