तपोवन आपदा प्रभावित क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से 13 शव बरामद

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जनपद चमोली के तपोवन आपदा (tapovan disaster) प्रभावित क्षेत्र में रविवार को अलग-अलग स्थानों से 13 लोगों के शव बरामद किए गए हैं।

इनमें तपोवन टनल (tunnel) में 5, जबकि रैणी क्षेत्र में 7 शव बरामद किए गए हैं। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया (swati s bhadauria) निरंतर स्थलीय निरीक्षण कर तपोवन आपदा (tapovan disaster) प्रभावित क्षेत्र में सर्च ऑपेरशन (search operation) का जायजा ले रही हैं।

जिलाधिकारी ने बताया कि आपदा में लापता 206 लोगों में से अभी तक 51 लोगों के शव विभिन्न स्थानों से बरामद हुए हैं। दो लोग पहले जिन्दा मिले थे। अब 153 लोग लापता चल रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है।

Tapovan disaster प्रभावित इलाकों में निरीक्षण करतीं डीएम स्वाति भदौरिया।
Tapovan disaster प्रभावित इलाकों में निरीक्षण करतीं डीएम स्वाति भदौरिया।

आपको बता दें कि इससे पूर्व रविवार सुबह एनटीपीसी (NTPC) की सुरंग (tunnel) से तीन शव बरामद किए गए थे।

आपको बता दें कि बीती 7 फरवरी, 2021 को चमोली जिले में आए जल प्रलय (chamoli disaster) की वजह से ऋषि गंगा (rishi ganga) प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त हो गया था।

इस हादसे में शनिवार तक 38 शव निकाले जा चुके थे, जबकि डेढ़ सौ से ज्यादा लोग लापता थे। रविवार को तीन और शव बरामद किए गए।

टनल में राहत और बचाव का कार्य अभी भी जारी है। इस हादसे के बाद से लापता लोगों के परिजन लगातार चमोली में जुटे हुए हैं।

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अपने लोगों का कोई सुराग नहीं मिलने से परेशान इन लोगों का गुस्सा बार-बार फूट रहा है। शनिवार को उन्होंने तपोवन (tapovan) में प्रदर्शन भी किया।

इसके साथ ही एडीएम (adm) का घेराव भी किया। साथ ही उन्होंने मलबा हटाने के लिए मशीन ना बढ़ाए जाने पर ऐतराज भी जताया।

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एडीएम ने समझा-बुझाकर किसी तरह लोगों को शांत किया। आपको बता दें कि टनल से बार बार मलबा आने की वजह से राहत और बचाव अभियान बार-बार प्रभावित हो रहा है।

यह अभी तक ठीक से सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। विशेषज्ञ फोर्स और हाईटेक उपकरण होने के बावजूद केवल एक ही जेसीबी (JCB) से काम लिया जा रहा है।

लापता लोगों के परिजनों का आरोप है कि आपदा के दौरान बैराज साइड पर काफी मजदूर काम कर रहे थे। ऐसे में यहां सर्च होना चाहिए था।

यहां मलबे में 70 से अधिक शव दबे होने की आंशका है। इसके बावजूद इस ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया?

सारा फोकस केवल सुरंग पर ही सिमटकर रह गया है। उनका यह भी आरोप था कि हर ओर से सहायता मिलने के बावजूद मशीनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है।

 

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