…तो उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार पर खतरा! आनन फानन में हाईकमान से मिलने दिल्ली गए
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Uttarakhand budget के लिए जनता से मुख्यमंत्री ने सुझाव मांगे थे। (फाइल फोटो)
…क्या उत्तराखंड की त्रिवेंद्र (trivendra) सरकार पर खतरा मंडरा रहा है? यह सवाल उत्तराखंड के सियासी हलकों में उठ रहा है। इस बीच सीएम दिल्ली रवाना हो गए हैं।
आपको बता दें कि बीजेपी की कोर ग्रुप (BJP core group) की अचानक हुई बैठक और उसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक (central observe) के रूप में पार्टी उपाध्यक्ष और राज्य प्रभारी दुष्यंत गौतम की मौजूदगी ने उत्तराखंड में कुछ बदलाव की सुगबुगाहट पैदा कर प्रदेश का सियासी हलचल तेज कर दी।
दिल्ली पहुंचकर रमन सिंह (Raman Singh) और दुष्यंत गौतम (dushyant Gautam) ने विधायकों/सांसदों से बातचीत पर आधारित अपनी रिपोर्ट बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
इस सुगबुगाहट की वजह से इससे पूर्व गैरसैंण में चल रहा बजट सत्र भी चार दिन पहले ही सिमटा दिया गया था।
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बताते हैं कि रमन सिंह की जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी में हुई। वहीं, दिल्ली में उत्तराखंड के करीब दो दर्जन विधायक डेरा जमाए हुए हैं।
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh rawat) को 8 मार्च को गैरसैंण (gairsain) में महिला दिवस के कार्यक्रम में शिरकत करनी थी, लेकिन सियासी प्याले में उठा तूफान भांप उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया।
वह पार्टी आलाकमान से मिलने के लिए देहरादून से दिल्ली (dehradun to Delhi) पहुंच गए हैं। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों रमन सिंह और दुष्यंत गौतम ने विधायकों से रावत के विकल्प के बारे में भी पूछा।
बताया जाता है कि रावत की कार्यप्रणाली और शासन में उनकी बात ना सुने जाने की केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत की गई थी।
पर्यवेक्षकों ने इस पर भी विधायकों से राय ली। बताया जाता है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है।
ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस पर भी विचार करेगा कि उत्तराखंड में यदि नेतृत्व परिवर्तन की नौबत आती है तो उसका क्या असर होगा। बहरहाल, सभी की निगाहें दिल्ली पर लगी हैं।