उत्तराखंड के नेताओं से कोरोना की सेटिंग है? स्थिति गंभीर बता रहे और खुद भीड़ जुटा रहे
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उत्तराखंड के भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के उत्तरकाशी में स्वागत की तस्वीरें उत्तराखंड के नेताओं (uttarakhand leaders) की कथनी करनी में अंतर दिखाती हैं।
क्या वाकई उत्तराखंड के नेताओं (uttarakhand leaders) के लिए आम जन एक वोट से ज्यादा कुछ नहीं। वरना कोई सत्तासीन इस कदर भीड़ कैसे जुटा सकता है?
ताज़ा तस्वीरें उत्तराखंड के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की हैं। कौशिक उत्तरकाशी के दौरे पर थे। इस बीच वे बड़कोट भी गए।
वहां उनके स्वागत में कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती रहीं। मदन कौशिक समेत तमाम लोग बगैर मास्क शिरकत करते नजर आए।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जुर्माना, मुकदमों जैसी कार्रवाई केवल आम जनता के लिए है?
उत्तराखंड के नेताओं (uttarakhand leaders) की कोरोना (corona) से सेटिंग है, जो उनकी रैली, उनके स्वागत कार्यक्रम से नहीं फैलेगा।
एक अच्छे नेता का अनुसरण जनता करती है, लेकिन उत्तराखंड में ऐसे नेताओ की भरमार है, जो अपने आचरण से विवादों में अधिक रहते हैं।
इन दिनों भाजपा नेता काम के बजाय दूसरी वजहों से अधिक चर्चा में हैं। हालांकि तमाम पार्टियों का हाल इससे जुदा नहीं।
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आप पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और उपभोक्ताओं मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वे बगैर मास्क पहने एक स्कूली बच्चे को मास्क पहना रहे थे।
उधर, अपने जनसंपर्क में लगातार लोगों की भीड़ से घिरे कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं अपने परिजनों समेत कोरोना के शिकार बन चुके हैं।
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अब ऐसे में सवाल उठता है कि रोज वैक्सीनेशन और मास्क पर जोर डालते उत्तराखंड के नेताओं के विज्ञापन क्या केवल उत्तराखंड की आम जनता के लिए हैं?
नियम- कायदों का कोड़ा केवल जनता की पीठ पर पड़ेगा? सरकार एक तरफ कोरोना को गंभीर बता रही है, ऐसे में यह लापरवाही कहां तक उचित ठहराई जा सकती है?